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लेखनी प्रतियोगिता -12-Sep-2023तलाश

तलाश

है तलाश सबको ही उसकी,
 जो भावों की भाषा जाने।
 दैहिक संबंधों से ऊपर ,
रिश्तों की परिभाषा जाने।।

 सारा ही जग देह पुजारी,
 मन का प्रेम बड़ा दुर्लभ है।
 मन का मीत मिले जब कोई,
धरती से मिल जाता नभ है।।
 सखा सदा ही अंतरमन की,
 पीड़ा का आशय पहचाने।
 है तलाश सबको ही उसकी,
 जो भावों की भाषा जाने।।

 मिट जाता आकर्षण क्षण में,
किंतु प्रेम सदियों तक रहता।
 प्रेम पावनी सुरसरिता सा,
मरुथल में युग युग तक बहता।
 बन जाता प्रतिरूप ईश वो,
 जो दुख में भी अपना माने।
है तलाश सबको ही उसकी,
 जो भावों की भाषा जाने।।

 पूजन योग्य हुआ वो जग में,
 जो अंतर को पढ़ लेता है।
 सूनी मन की दीवारों पर ,
नाम प्रीति का गढ़ लेता है।।
 कलम सदा उसको ही रचती,
ओष्ठ गीत लगते हैं गाने।
 है तलाश सबको ही उसकी,
 जो भावों की भाषा जाने।।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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5 Comments

Sushi saxena

13-Sep-2023 03:28 PM

V nice

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बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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Abhinav ji

13-Sep-2023 12:37 AM

Very nice

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